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सुहागन महिलाएं अखंड सौभाग्य को ले कल यानि सोमवार को करेंगी वट वृक्ष की पूजा, वट सावित्री व्रत के चलते महिलाओं में काफी उत्साह


Nawada (Bihar) : नवादा जिले में अखंड सौभाग्य का पर्व वट सावित्री व्रत सोमवार को मनाया जायेगा. सुहागन महिलाएं सोलह शृंगार करके वट वृक्ष की पूजा कर अखंड सौभाग्य की कामना करेंगी.

वट सावित्री व्रत को ले शहर के बाजारों में महिलाओं की भीड़ रही. इस कारण सारी सड़कें जाम रहीं. महिलाएं कपड़ा और श्रृंगार दुकानों के अलावा फुटपाथ पर पंखे की खरीददारी करती दिखीं.

ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या को वट सावित्री अमावस्या कहा जाता है. इस दिन सौभाग्यवती महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए वट वृक्ष और यमदेव की पूजा करती है.

व्रत में कुछ महिलाएं फलाहार का सेवन करती हैं तो कुछ निर्जला उपवास रखती हैं. वट सावित्री व्रत में वट यानी बरगद का पेड़ और सावित्री दोनों का विशेष महत्व है.

इस दिन महिलाएं सुबह स्नान कर नये वस्त्र पहन कर और सोलह श्रृंगार कर तैयार होती है. इसके बाद  बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करती है. वट सावित्री पूजा में बांस पंखा बहुत महत्वपूर्ण है. पूजा में वट वृक्ष को पहले बांस के पंखे से हवा दी जाती है और फिर पति को.

ऐसा माना जाता है कि इससे शीतलता, प्रेम और वंश वृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. बांस को वंश वृद्धि का प्रतीक माना जाता है और उसकी शीतलता पारिवारिक सुख-शांति का आधार है.

इसे लेकर बाजारों में पंखे की मांग बढ़ने से इसके दाम में भी वृद्धि आ गयी. 10 रुपये वाला पंखा 20 रुपये, बीस रुपये वाला पंखा 30 रुपये में बिका. ऐसे भी पंखे बाजार में उपलब्ध है जो 40 से 60 रुपये प्रति पीस बिक रहा है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वट सावित्री व्रत का पालन करने वाली स्त्री का पति दीर्घायु होता है और उसका सुहाग सदैव अचल रहता है. संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली स्त्रियों को इस व्रत के फलस्वरूप उत्तम संतान की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. 

वट सावित्री व्रत प्रत्येक सुहागन स्त्री के सुहाग को अखंड रखने वाला पर्व है. सदियों पहले सावित्री ने भी इसी व्रत का पालन कर अपने मृत पति सत्यवान को यमराज द्वारा जीवनदान देने के लिए विवश किया था. तभी से सौभाग्यवती स्त्रियों द्वारा अपने पति की लंबी आयु के इस व्रत का पालन करने की परंपरा है.

वट सावित्री व्रत में सत्यवान सावित्री व मृत्यु के देवता यमराज की पूजा होती है. हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार वट वृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और आगे के भाग में भगवान शंकर का वास होता है.

इसके अलावा महात्मा बुद्ध को भी बरगद वृक्ष के नीचे ही ज्ञान प्राप्त हुआ था. एक मान्यता यह भी है कि वट वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा करने और व्रत कथा आदि सुनने से जातक की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

क्या है शुभ मुहूर्त :-

26 मई सोमवार -अमृतः प्रातः 5:25 से प्रातः 7:08 तक, शुभः सुबह 8:52 बजे से सुबह 10:35 बजे तक, लाभः दोपहर 3:45 बजे से शाम 5:28 बजे तक है.

पूजा विधि:- 

वट सावित्री व्रत पर महिलाएं जल्दी उठकर तिल और आंवले से स्नान करती हैं. फिर वे नये वस्त्र पहनते हैं और खुद का सोलह-श्रृंगार करती है. 

महिलाएं निर्जला उपवास रख कर बरगद के पेड़ की पूजा करते समय उसके चारों ओर एक पीला या लाल धागा लपेटती हैं. उसपर जल, फूल और चावल चढ़ाती हैं और प्रार्थना करते हुए परिक्रमा करती हैं.

                      (रविंद्रनाथ भैया की कलम से).

                     

                         

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