Bihar के Tilaiya - dhaadhar तिलैया- ढाढर नदी परियोजना को तिलैया डैम से जोड़ने की पहल करे केन्द्र सरकार : जल पुरुष डाॅ राजेन्द्र सिंह
समाज और सरकार दोनों मिलकर छीन रहे नदियों का अधिकार
हरियाली और खुशहाली के लिए नदियों को फिर से पुनर्जीवित करना आवश्यक है। इसके लिए समाज और सरकार दोनों को मिलकर काम करने की जरूरत है।सिलाव के पावाडीह में आयोजित पानी पंचायत में वक्ताओं ने यह कहा। इस पानी पंचायत में नालंदा के अलावे नवादा शेखपुरा और गया के किसान नौजवान शामिल हुए। इस आयोजन को लेकर किसानों खासकर नौजवानों में काफी उत्साह देखा गया। पानी पंचायत के पंच डॉ परमानंद सिंह, प्रकृति के अध्यक्ष नवेन्दू झा, हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुबोध कुमार सिंह, नालंदा सहकारिता बैंक के पूर्व अध्यक्ष नवल किशोर यादव और समाजसेवी जनार्दन सिंह द्वारा पंचायत के निर्णय से सभासदों को अवगत कराया गया।
पानी पंचायत के मुख्य अतिथि जलपुरुष डाॅ राजेन्द्र सिंह ने कहा कि पानी खुशियों का आधार है। लेकिन समाज और सरकार दोनों मिलकर नदियों के अधिकार को छिन रहे हैं। पंचाने नदी को फिर से पुनर्जीवित करने के लिए आयोजित पानी पंचायत को उन्होंने पंचाने नदी पंचायत की संज्ञा देते हुए कहा कि मंत्रोच्चारण, उत्सव और आरती से पंचाने नदी पुनर्जीवित नहीं हो सकती है। इसके लिए संकल्प की जरूरत है। पंचाने को किसने सूखाया, इसका जिम्मेदार कौन है। इसकी पड़ताल होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की नदियों को लोग माँ कहते थे। तब नदियां पानीदार थी। जब से लोग नदियों को माॅ कहना छोड़ दिए हैं, तभी से नदियां वेपानी हो गई है। बड़ी नदियों के बहाव पर केन्द्र सरकार और छोटी नदियों पर राज्य सरकार का अधिकार है। डॉ राजेंद्र सिंह ने पंचाने नदी की यात्रा के दौरान मिले तथ्यों को रेखांकित करते हुए कहा कि पंचाने नदी का उद्गम तिलैया डैम है। वह झारखंड में है। पंचाने सहित बिहार की नदियाँ पहले गंगा की तरह अविरल बहती थी। लेकिन जब से तिलैया का पानी तिलैया - ढ़ाढर नदी परियोजना में आना बंद हुआ है, तभी से उसके नीचे की नदियां सूख गई है। नदियों की सुरक्षा का दायित्व सरकार साथ समाज की भी है। लेकिन दोनों दायित्व से भटक गये हैं। समाज और सरकार दोनों के द्वारा नदियों एवं अन्य जलस्रोतों पर अतिक्रमण किया जा रहा है। फलस्वरूप नदियाँ नाला बनती जा रही है। उसमें पानी का वहना भी बन्द हो रहा है।
डॉ सिंह ने कहा कि पंचाने नदी को फिर से पुनर्जीवित करने के लिए तिलैया - ढ़ाढर परियोजना को तिलैया डैम से जोड़ना आवश्यक है। इसके अलावे पंचाने नदी के पानी को फुलवरिया जलाशय में रोकना भी न्याय संगत नहीं है। पंचाने नदी को पुनर्जीवित करने के लिए तिलैया - ढोढर नदी परियोजना को तिलैया डैम से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार को संयुक्त रूप से पहल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विमर्श से निष्कर्ष निकलता है। पहले संवैधानिक, लोकतांत्रिक और नैतिकता से मांग पूरी करने के लिए पहल करनी चाहिए। जिन नदियों को मिलाकर पंचाने नदी बनी है। उसके साथ ज्यादती हुई है। इसे फिर से पानीदार बनाने के लिए भारत सरकार, बिहार सरकार और झारखंड सरकार को मिलकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने बालू उत्खनन को नदियों की हत्यारी बताया। राजगीर के समीप ढाई मीटर ऊंचा बराज बनाने का भी प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा पहले समझौता फिर आन्दोलन की चर्चा होनी चाहिए। कार्यक्रम का संचालन पानी पंचायत के आयोजक नीरज कुमार ने किया। इस अवसर पर शेखपुरा के शिवकुमार, प्रकृति अध्यक्ष नवेन्दू झा, डॉ परमानंद सिंह, सुधीर कुमार उपाध्याय, कृष्ण मुरारी सिंह, डोमन सिंह, रामनरेश प्रसाद सिंह, जनार्दन सिंह, अधिवक्ता रामनरेश सिंह इंजीनियर सुनील कुमार, नरेंद्र कुमार शर्मा, कॉपरेटिव बैंक के पूर्व अध्यक्ष नवल किशोर यादव एवं अन्य के द्वारा विचार व्यक्त किया गया।
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