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भारतीय ज्ञान परंपरा का दुनियां मे कोई जोड़ नहीं, नालंदा रही है ज्ञान परंपरा की अधिष्ठात्री भूमि - प्रो.सुनैना सिंह.

 


भारतीय ज्ञान परंपरा का दुनिया में कोई जोड़ नहीं है. नालंदा ज्ञान परंपरा की अधिष्ठात्री भूमि रही है. यहां नालंदा विश्वविद्यालय फिर से पुनर्जीवित हो रहा है. उसे बुलंदियों पर ले जाने के लिए जितना संभव हो सका उतना प्रयास किया है. Nalanda University की कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद सोमवार को पत्रकारों से कहा. उन्होंने अपने 6 साल के कार्यकाल में किए गए उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि जब वे नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति बनाई गई थी तब विश्वविद्यालय को अपना भवन नहीं था. किराए के भवन में कार्यालय, फैकेल्टी, छात्रावास और शिक्षक आवास था. 6 वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद उनके द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में प्रशासनिक भवन, फैकेल्टी लाइब्रेरी, सभागार, डायनिंग हॉल, अनेकों सरोवर आदि का निर्माण कराया गया है. यह विश्वविद्यालय जीरो नेट पर आधारित है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को फिर से पुनर्जीवित करने के बाद विश्व मानचित्र पर स्थापित करने के मार्ग को प्रशस्त कर वह जा रही हैं, इसकी उन्हें खुशी है.



उन्होंने रामधारी सिंह 'दिनकर' की कई कविताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि जब मन में लगन है तो कोई भी काम अधूरा नहीं रह सकता है. यह विश्वविद्यालय निरंतर आगे बढ़ते रहें, शिक्षा के क्षेत्र में फिर से पुरानी गौरव को हासिल करें, यह उनकी शुभकामनाएं हैं. उन्होंने विश्वविद्यालय के अध्ययन, अध्यापन, अनुशासन एवं अन्य कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि जब मैं विश्वविद्यालय में कुलपति का प्रभार ग्रहण किया था तब प्रस्तावित विश्वविद्यालय स्थल वीरान पड़ा था. अब उस परिसर में 95 फ़ीसदी निर्माण कार्य पूर्ण हो गया , शेष कार्य प्रगति पर है. उन्होंने कहा कि जो काम 10 से 15 वर्षों में होना , वह काम उनके द्वारा 6 वर्षों में पूरा किया गया है. उन्होंने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय की खूबसूरती की प्रशंसा केवल देश नहीं बल्कि दुनिया में हो रही.  उन्होंने कहा कि विश्वास है कि नालंदा एक न एक दिन अपनी पुरानी गौरव को हासिल करेगा और दुनिया या खासकर आसियान देशों में शिक्षा का फिर से प्रमुख केंद्र बनेगा. इस विश्वविद्यालय के निर्माण और ऊंचाई देने में उन्होंने साधना की तरह यत्न किया है. प्रो. सुनैना सिंह ने कहा कि नालंदा की ज्ञान परंपरा अद्भुत रही . भारत को विश्व गुरु के शिखर पर ले जाने में सहायक नालंदा विश्वविद्यालय से लोग सीखना चाहते हैं. मैंने इस ज्ञान मार्ग को शिद्दत से आगे बढ़ाया है. इस विश्वविद्यालय को बनाने और बढ़ाने में उनके द्वारा कोई कोर कसर नहीं छोड़ा गया है. उन्होंने कहा कि 30 देशों के एक हजार से अधिक स्टूडेंट यहां अध्ययन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पटना  एक कार्यक्रम में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने नालंदा विश्वविद्यालय के को फिर से पुनर्जीवित करने की इच्छा जाहिर की थी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा जमीन विश्वविद्यालय के लिए उपलब्ध कराई गई. भारत सरकार के सहयोग से नालंदा विश्वविद्यालय का अपना भवन बनकर तैयार है.



प्रो. सुनैना सिंह ने कहा कि भारत की संस्कृति दुनिया के देशों को हमेशा राह दिखाती रही है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में नालंदा विश्वविद्यालय निरंतर ज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ता रहे. उन्होंने नालंदा वासियों से निवेदन किया है कि इससे ज्ञानकुंज को शिखर तक पहुंचाने में अपना सहयोग निश्चित रूप से समर्पित करें. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी शिक्षक, पदाधिकारी एवं अन्य प्रमुख लोग मौजूद रहे.          

 रिपोर्ट - रामबिलास.




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