Bihar News : Nawada : नवादा जिले के मगही एवं हिन्दी के मुर्द्धन्य कवि, लेखक, साहित्यकार व पत्रकारों के भीष्म पितामह रामरतन प्रसाद सिंह "रत्नाकर" का शुक्रवार देर रात उनके पैतृक गांव वारिसलीगंज प्रखंड के मकनपुर में असामयिक निधन हो गया. वे करीब 85 वर्ष के थे. उनके निधन का समाचार सुनते ही जिले में शोक की लहर दौड़ पड़ी. उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों हुजूम उमड़ पड़ा.
छात्र जीवन में उनकी मगही में लिखी गांव की लक्ष्मी कविता से उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी. सबसे कम उम्र में पंचायत के मुखिया बने. राजनैतिक जीवन में लोकदल के जिलाध्यक्ष व जिला पत्रकार संघ के वर्षों सफल अध्यक्ष रहे.
राजनैतिक रूप से वे प्रखर समाजवादी नेता स्व. कपिलदेव सिंह के बहुत करीबी थे. उन्होंने मगही व हिन्दी साहित्य मंच को आगे बढ़ाते हुए दर्जनों पुस्तकें लिखी, तो पत्रकारिता में भी अमिट छाप छोड़ी. उनकी लिखित मगही की कई पुस्तकें मगध विश्वविद्यालय के सिलेबस में लागू है.
यह कहा जा सकता है कि अपने जीवन काल में शायद ही ऐसा कोई स्थान शेष रहा हो, जहां उन्होंने अपनी छाप न छोड़ी हो. आकाशवाणी से लेकर दूरदर्शन पर प्रसारित उनकी सैकड़ों वार्ता ने उन्हें बिहार ही नहीं; हिन्दी प्रदेशों में पहचान दिलाई.
मगही लोकभाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज कराने तथा उसके सम्यक विकास के लिए वे जीवन पर्यंत प्रयासरत रहे. फलस्वरूप, वे देशभर में मगही भाषा को पुष्पित - पल्लवित करने के लिए प्रयासरत रहे.
वे दर्जनों पुरस्कार से सम्मानित किए गए. उनका इस प्रकार चला जाना मगही - हिंदी के साथ पत्रकारिता जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है, जिसकी भरपाई संभव नहीं है. उनका अंतिम संस्कार बाढ़ उमानाथ घाट पर संपन्न हुआ.
उनके असामयिक निधन पर विधायक अरुणा देवी, जेपीएस आईटीआई निदेशक मुखिया राजकुमार सिंह, जदयू जिला महासचिव अधिवक्ता चंद्रमौलि शर्मा, पत्रकार रविंद्र नाथ भैया, मिथिलेश कुमार, मनीष कमलिया, अशोक कुमार, उमाशंकर पाठक, बिपिन कुमार, सुजीत कुमार, मुकेश कुमार सिंह, मनोज कुमार, प्रदीप कुमार,
सुबोध कुमार, राजेंद्र कुमार, संतोष कुमार, सानू सिंह, अभय कुमार रंजन, मुकेश कुमार, राजीव कुमार, कृष्ण कुमार चंचल, श्यामल जी, जदयू प्रखंड उपाध्यक्ष अनिल कुमार समेत क्षेत्र के हजारों बुद्धिजीवियों, सामाजिक व राजनैतिक कार्यकर्ताओं तथा शिक्षाविदों ने उनके असामयिक निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए इसे पूरे प्रदेश के साहित्य व पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया है.
- चंद्रमौलि शर्मा.
कवि, लेखक, साहित्यकार व पत्रकारों के भीष्म पितामह रामरतन सिंह "रत्नाकर" का असामयिक निधन, शोक संवेदनाओं का लगा तांता
Reviewed by News today 365
on
October 18, 2025
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