Apple Plum Farming : एप्पल बेर की खेती ने बदली किसान की तकदीर, साल में हो रही लाखों की कमाई, जानिए कैसे
Apple Plum Farming : देश में बहुत से किसान अब गेहूं, धान, दाल, तिलहन जैसी परंपरागत खेती की जगह नई फसल ट्राई कर रहे हैं। बहुत से किसानों ने वैज्ञानिक खेती अपना कर अपनी आमदनी बढ़ाने में सफलता भी हासिल की है। देश के कई इलाके के किसान हाइड्रोपोनिक फार्मिंग कर रहे हैं तो कई इलाके के किसानों ने परंपरागत फसल की जगह सब्जी और फल की खेती शुरू की है जिससे उन्हें अच्छी – खासी कमाई हो रही है। ऐसे ही एक किसान बिहार के सीतामढ़ी जिले के निवासी मनोज कुमार, जो इन दिनों इलाके भर में किसानों के प्रेरणा स्त्रोत बने हुए हैं।
सीतामढ़ी जिले के डुमरा प्रखंड के मनोज ने करीब चार साल पहले पारंपरिक फसल को छोड़ एप्पल बेर ( Apple Ber ki Kheti ) जैसे नकदी फसल की खेती शुरू की थी। इससे आज उन्हें सलाना करीब 3 से 4 लाख की कमाई हो रही है। उन्होंने बताया कि पिता जयनारायण महतो की प्रेरणा से उन्होंने खेती करने की ठानी। परंतु पारंपरिक खेती से प्रायः नुकसान ही होता था। उन्होंने 4 वर्ष पूर्व अपने एक दोस्त के कहने पर बंगाल से 210 रुपये प्रति पौधे की दर से एप्पल बेर के 400 पौधे मंगवाए। 15 कट्ठा जमीन में इसे लागकर इसकी शुरुआत की थी। बता दें कि ग्रीन एप्पल बेर की खेती मुख्यत: बंगाल में की जाती है।
पहले हुआ नुकसान अब हो रहा फायदा :
एप्पल बेर का साइज सेव के साइज के बराबर होने की वजह से इसे एप्पल बेर कहा जाता है। मनोज ने बताया कि शुरुआत में नुकसान हुआ, लेकिन अब प्रतिवर्ष 3 से चार लाख रुपये तक की कमाई हो रही है। हर पेड़ से एक सीजन में 40 से 80 किलो तक फल मिल जाता है, जिसे वे 30 से 40 रुपए प्रति किलो की दर से स्थानीय व्यपारियों को बेचते हैं।
फसल को पक्षियों से रहता है खतरा :
उन्होंने बताया कि फसल को पक्षियों से खतरा रहता है जिसके के लिए वे खेत के चारों ओर व ऊपर से प्लास्टिक की पतली जाली का उपयोग करते हैं। फसल को सबसे अधिक पक्षियों से नुकसान होता है। फसल लेने के बाद आठ फीट बड़े पेड़ को क्रॉप कर दिया जाता है। अधिक फसल के लिए यह प्रक्रिया हर वर्ष निरंतर जारी रहती है। उन्होंने बताया कि अच्छी देखभाल से 200 ग्राम तक एक बेर का वजन मिल जाता है। अगर सरकारी सहयोग मिले तो वे और अधिक खेत मे इस फसल की खेती करेंगे।
Tips : एप्पल बेर के पौधे लगाने का तरीका( Apple Ber ki Kheti ) :
एप्पल बेर के पौधे को लगाने से पहले 15 फीट की दूरी पर तीन – तीन फीट गड्ढे खोदने होते हैं उसके बाद उनमें गोबर की खाद डालना पड़ता है। फिर उन गड्ढों में पौधों की रोपाई की जाती है। पहले व दूसरे वर्ष इन पौधों के बीच में छोटी हाइट की कोई भी फसल लगाई जा सकती है। लेकिन तीसरे वर्ष के बाद पौधों के बड़े होने पर इनके बीच कोई फसल नहीं उगाई जा सकती।
एप्पल बेर के लिए अधिक पानी की जरूरत नहीं होती :
खास बात यह है के एप्पल बेर में बहुत अधिक पानी की जरूरत नहीं होती। बेर पर फल लगने से कुछ समय पूर्व ही चारों तरफ जाल लगा दिया जाता है जिसकी वजह से पक्षियों से बचाया जा सके। उन्होंने बताया कि ग्रीन ऐप्पल बेर पौष्टिक तत्वों की भरमार होने के साथ ही कई बीमारियों में फायदेमंद है।. बेर में विटामिन सी, ए और बी कॉम्प्लेक्स, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, आयरन और कॉपर, कैल्शियम और फास्फोरस, सोडियम, जिंक आदि तत्त्व भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं।.
बता दें कि एप्पल बेर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत, पाचन तंत्र और कब्ज जैसी बीमारियों में फायदेमंद, मस्तिष्क विकास में सहयोगी, तनाव, अनिद्रा जैसी बीमारियों में उपयोगी, शरीर की बैक्टीरिया से रक्षा समेत इसमें मौजूद कैल्शियम दांतों और हड्डियों को मजबूत करता है।
No comments