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Bihar politics : Nitish Kumar की Amit Shah और Rajnath Singh से हुई बात, नीतीश कुमार के फिर से पलटी मारने की चर्चा सरेआम

कई चर्चित नेताओं के भविष्य पर ग्रहण की आशंका, बिहार का राजनैतिक तापमान चरम पर 




 बिहार के उप मुख्यमंत्री Tejasvi Yadav के बाद जो नेता मुख्यमंत्री Nitish Kumar के फिर से पलटी मारने की खबरों से सबसे अधिक परेशान होंगे , वो हैं Upendra Kushwaha. उपेंद्र कुशवाहा ने हाल ही में JDU संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पद और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दिया था. बाद में उन्होंने MLC से भी resign कर दिया था. वे अपने राजनैतिक कैरियर को लेकर काफी परेशान होंगे. 


बिहार के राजनैतिक, सामाजिक, ऐतिहासिक, भौगोलिक तथा सोशल इंजीनियरिंग के मामले मे Nitish Kumar का कोई जोड़ नहीं है. इसमें उन्होंने महारत हासिल कर ली है. नीतीश कुमार एक झटके में BJP के साथ तो दूसरे झटके में RJD के साथ सरकार बना लेते हैं. दोनों हालत में CM वहीं बनते हैं. अन्य राज्यों में पूरी की पूरी सरकार बदल जाती है पर बिहार में पिछले 15 से अधिक वर्षों से नीतीश कुमार ने बिहार की राजनीति में अपना ऐसा सिक्का जमा रखा है कि मंत्रियों की लिस्ट बदल जाती है पर मुख्यमंत्री नहीं बदलते. अब देखिए न, कुछ माह ही हुए महागठबंधन सरकार बनने को और अब उसमें दरार की खबरें सामने आ रही हैं. राजद के कुछ मंत्रियों और विधायकों की नाहक बयानबाजी से नीतीश कुमार की नाराजगी की खबरें सरेआम चर्चा में हैं. इस बीच Governer की नियुक्ति के बहाने उनकी Amit Shah और शहीद के पिता से बदसलूकी को लेकर देश के रक्षामंत्री Rajnath Singh से बातचीत हुई है. यही दो फोन कॉल  Tejasvi Yadav, Upendra Kushwaha और Chirag Paswan से लेकर R.C.P Singh की नींद हराम होने के लिए काफी है. दरअसल, तेजस्वी यादव को फिर से विपक्ष में बैठने का डर सता रहा है तो बाकी नेताओं को दूध की मक्खी की तरह निकाल फेंके जाने का भय हो रहा है. इसलिए नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजियां तेज होती जा रही हैं. 


क्या फिर से विपक्ष में बैठने को राजी होंगे तेजस्वी यादव? 



सबसे पहले बात करते हैं तेजस्वी यादव की. तेजस्वी यादव ने पिछले साल नीतीश कुमार को समर्थन देकर महागठबंधन की सरकार बनवाई थी और खुद diputy CM बने थे. एक तो तेजस्वी यादव मां Rabadi Devi और पिता Lalu Prasad Yadav से Land for job केस में पूछताछ किए जाने से वैसे ही परेशान हैं , दूसरी ओर नीतीश कुमार के पाला बदलने की खबरें भी उनके लिए दिक्कत पैदा कर रही होगी. लाख मना करने के बाद भी राजद विधायक Sudhakar Singh ने नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजी कम नहीं की बल्कि उसकी फ्रीक्वेंसी और बढ़ा दी. सुधाकर सिंह पर RSS के इशारे पर काम करने के भी आरोप लगे पर नीतीश कुमार के खिलाफ आरोपों को लेकर सुधाकर सिंह टस से मस नहीं हुए. बिहार के शिक्षा मंत्री Chandrashekhar Yadav भी राजद कोटे के विधायक हैं. उनकी अल्हड़ बयानबाजियों से भी नीतीश कुमार की छवि को नुकसान पहुंचा है. माना जा रहा है कि नीतीश कुमार इनसे खासे आहत हैं और नाराजगी स्वरूप फिर से NDA कैंप में उनकी वापसी की चचाएं प्रबल होती जा रही हैं. ये सब बातें तेजस्वी यादव को अच्छी तो नहीं लग रही होगी. 



नीतीश के पलटी मारने पर उपेंद्र कुशवाहा का क्या होगा? 



तेजस्वी यादव के बाद जो शख्स नीतीश कुमार के पाला बदलने की खबरों से सबसे अधिक परेशान होंगे, वो हैं उपेंद्र कुशवाहा. उपेंद्र कुशवाहा ने हाल ही में जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पद और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दिया था और अपनी Rashtriy Lok Janta Dal नाम से नई पार्टी बनाई थी. जब से उपेंद्र कुशवाहा ने नई पार्टी बनाई है, तब से वे लगातार नीतीश कुमार के खिलाफ आग उगल रहे हैं. हाल ही में उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार PM पद क्या जीतेंगे, अभी वे मुखिया पद भी नहीं जीत पाएंगे. जब से खबरें आम हुई हैं कि नीतीश कुमार बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में हैं, तब से उपेंद्र कुशवाहा के दिल की धड़कनें तेज हो गई होगी, क्योंकि यह सभी को पता है कि नीतीश कुमार अगर एनडीए कैंप में आते हैं तो फिर उपेंद्र कुशवाहा की एनडीए में एंट्री नहीं हो पाएगी. पिछले दिनों दो ऐसी घटनाएं हुईं, जिसके बाद से एनडीए कैंप में नीतीश कुमार की वापसी की चर्चाओं को बल मिला है. एक घटना Galwan के शहीद के पिता से बदसलूकी तो दूसरी Tamilnadu में कथित रूप से बिहारी मजदूरों के खिलाफ हिंसा का मामला. आपको ध्यान होगा कि इन दोनों मामलों में नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को सरकार की ओर से आगे कर दिया था और बीजेपी का सारा आक्रमण तेजस्वी यादव के खिलाफ ही रहा. 


चिराग पासवान और आरसीपी सिंह हो जाएंगे बेचैन 



उपेंद्र कुशवाहा की तरह चिराग पासवान और आरसीपी सिंह भी नीतीश कुमार के एनडीए कैंप से नजदीकी की खबरों से परेशान होंगे. दरअसल, चिराग पासवान तो नीतीश कुमार से नाराजगी का खामियाजा भी भुगत चुके हैं. नीतीश कुमार से नाराजगी के बाद चिराग पासवान की  पार्टी बुरी तरह से टूट गई, चाचा पशुपति कुमार पारस ने अलग पार्टी बना ली, मोदी सरकार में चिराग पासवान को मंत्री पद भी नहीं मिला और एनडीए से बाहर भी जाना पड़ा. फिर भी आज तक वे खुद को पीएम मोदी के हनुमान साबित करते रहते हैं. पिछले दिनों मोदी सरकार ने उन्हें जेड सिक्योरिटी दी थी तो माना जा रहा था कि जल्द ही उन्हें एनडीए में शामिल कर मोदी सरकार में मंत्री बनाया जाएगा, लेकिन बदले हालात में ऐसा होता नहीं प्रतीत हो रहा है. उसी तरह आरसीपी सिंह का हाल हुआ. बेचारे अच्छे भले Modi Sarkar में इस्पात मंत्री पद को सुशोभित कर रहे थे लेकिन नीतीश कुमार से नाराजगी का आलम यह हुआ कि राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हुआ तो दूसरी बार उनको प्रत्याशी ही नहीं बनाया गया. परिणाम यह हुआ कि उन्हें मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा और अभी वे बिहार में Prasant Kishore, उपेंद्र कुशवाहा की तरह अपनी अलग यात्रा निकाले हुए हैं. 


क्या इस बार भी नीतीश की सरकार में चलेगी मनमर्जी ?



अब आते हैं बीजेपी के रुख पर. माना जाता है कि नीतीश को बीजेपी के साथ काम करना मुफीद लगता है. तमाम बयानबाजियों के बाद भी नीतीश कुमार को बीजेपी आलाकमान का आशीर्वाद प्राप्त रहता था लेकिन बार-बार पाला बदलने की नीतीश कुमार की राजनीति अब शायद बीजेपी को भी समझ में नहीं आ रहा. शायद इसलिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वाल्मीकिनगर रैली में स्पष्ट मैसेज दे दिया था कि अब नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी नहीं हो पाएगी लेकिन राजनीति में कुछ भी पहले से तय नहीं होता. जो भी होता है तात्कालिक लाभ और मौकापरस्ती को देखकर होता है. हो सकता है बीजेपी नीतीश कुमार की एनडीए कैंप में वापसी को लेकर राजी हो जाए, लेकिन शायद इस बार यह नीतीश कुमार की शर्त पर न होकर बीजेपी की शर्त पर होगा. देखना यही है कि नीतीश कुमार बीजेपी की शर्त मानते हैं या बीजेपी नीतीश कुमार की शर्त मानती है या फिर नीतीश कुमार की एनडीए कैंप में वापसी केवल एक राजनीतिक शिगूफा भर है,​ जिसका मजा नीतीश कुमार तो ले ही रहे हैं और बीजेपी भी ले रही है. अगर नीतीश कुमार की वापसी होती है तो चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और आरसीपी सिंह जैसे हनुमानों का क्या होगा, यह देखना भी दिलचस्प होगा. इन चर्चाओं को लेकर बिहार का राजनैतिक तापमान फिलवक्त चरम पर है.















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